जान हथेली पर लिए जी रही हूॅं मैं,
जान हथेली पर लिए जी रही हूॅं मैं,
दिल में कई ख़यालों को लिए चल रही हूॅं मैं।
मुझे नहीं कोई शिकवा किसी से,
बस कोई मेरे सवालों का ज़वाब दे दे यही चाहती हूॅं मैं।।
अपने दर्द का एहसास कभी किसी को
नहीं होने देती हूॅं मैं, अपनी ख़्वाहिशों को सभी से छिपाती हूॅं मैं।
मुझे नहीं कोई शिकवा किसी से,
बस कोई मेरे सवालों का ज़वाब दे दे यही चाहती हूॅं मैं।।
हर कोई दिल दुःखाता है मेरा,
मैं अनजाने में भी किसी का दिल दुःखाती नहीं।
मुझे नहीं कोई शिकवा किसी से,
बस कोई मेरे सवालों का ज़वाब दे दे यही चाहती हूॅं मैं।।
मुझे किसी से प्यार नहीं,
सभी से प्यार करती हूॅं मैं, नफ़रत मुझसे सभी करते हैं पर फिर भी
मुझे नहीं शिकवा किसी से,
बस कोई मेरे सवालों का ज़वाब दे दे यही चाहती हूॅं मैं।।
मैं किसी को धोखा देती नहीं,
धोखा देता है मुझे हर कोई पर फिर भी
मुझे नहीं कोई शिकवा किसी से,
बस कोई मेरे सवालों का ज़वाब दे दे यही चाहती हूॅं मैं।
- रीना कुमारी प्रजापत