गुस्सा दरअसल ऐसा असहाय पल होता।
जब इंसान के अंदर जुल्म चीखने लगता।।
बरसों से दबे ख़यालात बिना आवाज के।
स्वाभाविक अनुभूति पाकर उभरने लगता।।
कई बार सामन्य दिखते अधूरी इच्छा लिये।
छू लेने भर से भीतर में बवंडर उठने लगता।।
जिसमें भावनाएं उभरती नही लहर उठती।
उस भंवर में 'उपदेश' बेताबी बढ़ने लगता।।
कहीं बोलती आँखों से झरते मुरझाए गुलाब।
उसकी गंध से बेवजह ज्वार चढ़ने लगता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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