सोच रे इंशा,
चार दिन जिंदगी,
पंगे से बच !
जन्म मृत्यु के,
मध्य अदृश्य भित्ति,
कांच - जीवन !
छुपे कैमरे,
निगरानी है सख्त,
भगवान की !
खदेड़ डालो,
लल्लोचप्पो लोगों को,
सुदूर सलाम !
गुटनिर्पेक्ष ,
न काहू से दोस्ती न,
काहू से वैर !
दरकिनार,
धन ऐश्वर्य होड़,
कोरा जीवन !
तीन बंदर,
गांधी के रख याद,
चलता रह !
फल देता है,
कर्तव्य निर्वहन,
निष्पक्ष ध्येय !
आपका कर्म,
बिन मांगे हैं मोती,
जन्म संवार !
अच्छे बुरे का,
अंतर्मन है श्रेष्ठ ,
न्यायाधिपति !
खाली है आया,
खाली ही जाना होगा,
ऊहापोह क्यों ?
✒️ राजेश कुमार कौशल