आँसू थाम लिए आँखें झील बनी।
कभी खुशहाल रही दौलत से धनी।।
घर के अंदर सामन्य सा वातावरण।
बड़बड़ा रहीं किसी ने एक न सुनी।।
बढाती मलाल छत से आकाश तक।
हुआ करती कभी रोशनी की जननी।।
खुशनसीबी का आलम धुल सा गया।
कथनी और करनी में इन्द्रधनुष बनी।।
फासला घटाने का तरीका 'उपदेश'।
पगले मन को सम्हाली खुसहाली घनी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




