सोल्ह साल की लडकी काे काेई धाेखा दे गया,
बहला-फुसला कर दूर...एक काेठी में ले गया।।
वहां थी एक औरत उसने उसे डरवाया,
जबर्जस्ती उस से वेश्या वृत्ति कर वाया।।
ये अन्याय घाेर देख वह बडी राे रही,
वह बेचारी लडकी एक वेश्या हाे गई।।१।।
देखने में सुन्दर अति थाेडा कद की छाेटी है,
हमेशा बन्द उसके लिए वाे खन्डर काेठी है।।
बहुत दुखी और पीडित हाे रही,
हर ग्राहकाें के संग वह रह रही।।
उसकी काेई गलती नहीं रह गई ताे रह गई,
वह बेचारी लडकी एक वेश्या हाे गई।।२।।
समाज का ही आदमी है उसके पास रात काे,
आखिर समझे काैन यह सत्य बात काे।।
हमारा समाज ताे पत्थर का एक मूरत है,
मर्द हमेशा बेदाग बदनामी औरत है।।
समाज के कारण ही वहां पर वह गई,
वह बेचारी लडकी एक वेश्या हाे गई।।३।।
जीवन में उसके..उसे काेई आश नहीं,
धर्म और पुन्य अब किसी के पास नहीं।।
चिन्ता ही चिन्ता से जान उसकी जा रही,
आबरू उसका बेच मालकिन खा रही।।
उसकी संसार दुनियाँ ही खाे गई,
वह बेचारी लडकी एक वेश्या हाे गई।।४।।
हम में से काेई उसके पास जाएं जरा,
वेश्यावृति की दल दल से छूटा कर लाएं जरा।।
कमसे कम कल्याण उसकी हाेती थी,
बेचारी लडकी हर राेज यूं हीं न राेती थी।।
बेचारी लडकी हर राेज यूं हीं न राेती थी.......
----नेत्र प्रसाद गौतम