ना प्यार न पैसा न नाम चाहिए
जिंदगी के हर मोड़ पर बस काम चाहिए
बीत रहें हैं जीवन के क्षण क्षण कीमती पल
मुझे हर पल का अपने आप से हिसाब चाहिए।
एक कर्म हीं अमर है बाकी सब व्यर्थ है
संभलना जरूरी हैं चल रहा जीवन चक्र है
किस करवट बैठेगा यह जीवन का ऊंट
ये तो भाई कोई नहीं जनता
याद रक्खे न रखे तुम्हारे पवार को
ये दुनियां .. पर तेरे कामों को तेरे जाने के बाद भी हर कोई याद रक्खेगा।
अच्छे आक्रमण का अच्छा तो बुरे कर्मों का
बुरा फल तू खायेगा
अंततः इस दुनिया में हर कोई..
अपने कर्मों से जाना जाएगा..
अपने कर्मों से जाना जाएगा...