प्रेम है क्या चीज़, जो बिन छुए जला देता है,
जिस्म को राख और रूह को हवा बना देता है।
कोई हँसता है तो लगता है वो पागल है बहुत,
कौन समझे कि मोहब्बत भी दवा देता है।
दर्द देता है, मगर दर्द से डरता भी नहीं,
इश्क़ वो ज़हर है, जो ज़िंदा बचा देता है।
रात जागे तो लगे चाँद भी सुनता है उसे,
दिन में सोचे तो वो सूरज को सिला देता है।
जिसने देखा नहीं, बस सुना प्रेम का नाम,
उसने समझा कि ये इक रोग सजा देता है।
मैंने सोचा था मोहब्बत है कोई ख़ूबसूरत बात,
वक़्त ने समझाया — ये बर्बाद किया देता है।
कितनों को देखा है इसके पीछे पागल होते,
ये वो सुरूर है जो प्यास बढ़ा देता है।
अब जो पूछे — ‘प्रेम क्या है?’ — तो बस इतना कहना,
ये वो साया है जो जलकर भी दुआ देता है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




