मेरी जिन्दगी में भी किस्सा रहा हमदर्द का।
मेरा एहसास कह रहा उससे रिश्ता दर्द का।।
गरीबी के ख्वाब भी अमीरी से कम नही थे।
शहर मे पढ़ने की चाह हालात लूँ की गर्द का।।
डूबती हुई जिंदगी छटपटाए नही तो क्या करें।
बनकर देवदूत आया साथ मिला हमदर्द का।।
कैसे कहूँ मुझे जिसकी आरज़ू रहीं पूरी हुई।
सफलता दिलाने वाला 'उपदेश' हाथ मर्द का।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद