कविता : अपनी अपनी ख्वाइश....
एक समझदार बनने के लिए
आदमी को बहुत समय लगता है
मगर निकम्मा बनाना हो तो
आदमी दो मिनट में बन सकता है
हर किसी की यहां
अपनी अपनी ख्वाइश है
बनना क्या करना क्या
ये खुद अपनी च्वाइस है
बनना क्या करना क्या
ये खुद अपनी च्वाइस है.......
netra prasad gautam

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




