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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आदत सी हो गई है

कापीराइट गजल

आदत सी हो गई है

आज नफरत किसी को हम से हो गई
तभी, तो गायब खुशी, दिल से हो गई

दिलों से खेलने की आदत है उन को
इसीलिए तो शरारत ये दिल से हो गई

वो बनाते हैं सब रिश्ते तोङने के लिए
यूं रिश्तों से उनको अदावत सी हो गई

जी चाहा जब तक, प्यार किया हमसे
रोने की उन्हें अब, आदत सी हो गई

गर हम किसी से, कुछ प्यार से बोले
रूठ जाने की उन्हें, आदत सी हो गई

यूं प्यार से बोलना भी, गुनाह है अगर
मुफ्त में ही अपनी तो फजीहत हो गई

बात हम तो करेंगे अब सभी से प्यार से
उन्हें जलने की मगर आदत सी हो गई

गर नाराज हैं वो तो, नाराज रहें यादव
यूं जीने की हमें भी आदत सी हो गई

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

सरिता पाठक said

यादव भाई साहब को सुप्रभात सहित सादर नमस्कार 🙏इतना सुन्दर कैसे लिख लेते हैं आप बात हम करेंगे सभी से प्यार से उन्हें तो जलने की आदत सी हो गयी है हर पंक्ति लाजबाब, शानदार 👌

Lekhram Yadav replied

आदरणीय सरिता जी, आसपास की परिस्थितियों और लोगों की भावनाओं को देखकर स्वंय ही कलम लिखने के लिए प्रेरित हो जाती है, हम तो बस निमित्त मात्र बन जाते हैं। इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सादर नमस्कार।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! वाह! क्या बात है!
दिल की गहराइयों से निकले हुए लफ़्ज़ हैं ये...
हर शेर में एक चुभन है, एक सच्चाई है — जो बस दिल को छू जाती है।
आपको सादर प्रणाम, आदरणीय यादव सर जी। 🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय अशोक कुमार पचौरी आर्द्र जी आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत, आपको सादर नमस्कार।

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

गर नाराज़ हैं वो, नाराज़ रहें यादव!
यूॅं जीने की हमें भी आदत सी हो गई!!
वाह! यादव जी, हर शे'र लाजवाब! हर शे'र बे-मिसाल! बेहद शानदार लिखा है आपने! बहुत ख़ूब! आदाब! 👌👌👏👏❤️🙏

Lekhram Yadav replied

आदाब अर्ज है अहमद भाई, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत, इतनी खूबसूरत कमेंट के लिए आपका शुक्र गुजार हूं।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह!! लेखराम सर जी सादर प्रणाम 🙏 जब कुछ प्रिय या अप्रिय बातें निरंतर होने लगे तो हमें उसकी आदत सी हो जाती है। जिंदगी के खूबसूरत अनुभवों को आपने अपनी कलम से कागज़ पर सुंदर और भावमयी उकेरा है। आपकी लेखनी को नमन 🙏🙏🙏🙏

Lekhram Yadav replied

समदिल भाई आपका बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद, इतनी लाजवाब प्रतिक्रिया के लिए आपका शुकगुजार रहूंगा, आपको सादर नमस्कार।

इक़बाल सिंह “राशा“ said

लेखराम जी
बहुत खूबसूरत और एहसासों से भरी ग़ज़ल
हर शेर दिल की गहराई को छूता है
दर्द भी है, सच्चाई भी — और एक शालीन मुस्कान सी मिठास भी।बहुत बढ़िया सर

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत राशा जी, आपको सादर नमस्कार।

वन्दना सूद said

वाह sir क्या खूब लिखा आपने
आपकी गज़लें पढ़कर बहुत ही अच्छा लगता है 👏👏👌👌

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद वन्दना जी, आपको सादर नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत said

दिलों से खेलने की आदत है उन को
इसीलिए तो शरारत ये दिल से हो गई

वो बनाते हैं सब रिश्ते तोङने के लिए
यूं रिश्तों से उनको अदावत सी हो गई..... ना जी ना ऐसी बात नहीं है नहीं तोड़े हमने कोई रिश्ते.....😃😃 बहुत सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह 👌👌👌 प्रणाम

Lekhram Yadav replied

गजल आपको अच्छी लगी, उसके लिए आपका दिल से आभार प्रकट करता हूं, मगर आपने ये लिखकर सफाई क्यों दी कि "आपने कोई रिश्ते नहीं तोङे," इस बात का कारण बताओ? आपको सादर नमस्कार।

सुभाष कुमार यादव said

क्या कहने। खूबसूरत ग़ज़ल।👌🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सुभाष जी, आपको सादर नमस्कार।

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