कापीराइट गजल
आदत सी हो गई है
आज नफरत किसी को हम से हो गई
तभी, तो गायब खुशी, दिल से हो गई
दिलों से खेलने की आदत है उन को
इसीलिए तो शरारत ये दिल से हो गई
वो बनाते हैं सब रिश्ते तोङने के लिए
यूं रिश्तों से उनको अदावत सी हो गई
जी चाहा जब तक, प्यार किया हमसे
रोने की उन्हें अब, आदत सी हो गई
गर हम किसी से, कुछ प्यार से बोले
रूठ जाने की उन्हें, आदत सी हो गई
यूं प्यार से बोलना भी, गुनाह है अगर
मुफ्त में ही अपनी तो फजीहत हो गई
बात हम तो करेंगे अब सभी से प्यार से
उन्हें जलने की मगर आदत सी हो गई
गर नाराज हैं वो तो, नाराज रहें यादव
यूं जीने की हमें भी आदत सी हो गई
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है