अब कुछ सही, कुछ गलत है तो है..
उनसे बेवज़ह की, मुहब्बत है तो है..।
उनसे मिला तो, सांसे कुछ तेज थी..
मुहब्बत की ये, ख़ासियत है तो है..।
वो चाहे बेवफ़ाई करें, तो किया करें..
मुझमें मगर वफ़ा की सिफ़त है तो है..।
वो मुझे नहीं मिले, जो तलाशते हैं मुझे..
जमाने में हमारी भी, ज़रूरत है तो है..।
वक्त पड़ा तो फिर, किसी को वक्त कहां..
सभी यार दोस्तों की, ये हक़ीक़त है तो है..।
बहारों ने तो बेरूख़ी, दिखलाई है अबके..
गुलों में बागबां के, लहू की रंगत है तो है..।
हुजूम-ए-शहर में सन्नाटे की लाश देखकर..
हर तरफ से घिर आई, ये वहशत है तो है