ऐसे वैसे,
जैसे तैसे
इसके उसके,
जाने किसके
इतने उतने,
जाने कितने
आते जाते,
राह में चलते
यहाँ वहां और,
जाने कहाँ से
सोते जागते,
स्वप्न देखते
जमीं पर चलते,
हवा में उड़ते
बड़े से बादल,
नन्हें पंक्षी
अब से तब से,
ना जाने कब से
आते रहे हैं,
आते रहेंगे
ना डर है,
ना डर का भाव
बड़े से बादल,
नन्हें पंक्षी
गाते रहेंगे,
चहचाते रहेंगे
-अशोक कुमार पचौरी