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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इश्क़ के नज़राने में-ताज मोहम्मद

जा हमनें खुशियाँ दे दी तुझको अपने इश्क़ के नज़राने में।
बेरुख़ी तो देखो तुम्हारी तुमनें नज़र भी ना उठाई सुकरानें में।।1।।

कभी कभार हमसे भी गुफ़्तगू कर लिया करो यूँ हँस कर।
वैसे कुछ भी जाता नहीं है किसी का भी थोड़ा सा मुस्कुरानें में।।2।।

यह ज़ख़्म है दूसरा जायेगा ना इन दुनियाँ के नीम-हकीमों से।
मरीज-ए-इश्क़ की ग़म की दवा मिलती नहीं है इनके दवाखाने में।।3।।

सभी को लगता था उसने जी है अपनी ज़िन्दगी बड़ी बे रूखी में।
हुज़ूम तो देखो जनाजे का सारा शहर ही आया है उसको दफ़नाने में।।4।।

वह जानें नहीं देता है किसी को भी कोठी के उस अंधेरे हिस्से में।
शायद कुछ पुराने राज छिपे है नीचे उस बंद पड़े तहखाने में।।5।।

सुनना कभी गौर से उस आलिम की तकरीरों को अकेले में तन्हा।
उसको बड़ी महारत हासिल है कौम को मज़हब के नाम बड़कानें में।।6।।।

अभी भी वक़्त है आ जाओ तौबा करके उसकी रियासत में।
थक जाओगे लेतेे लेते इतना कुछ है मेरे ईलाही के ख़ज़ाने में।।7।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ





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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

जा हमनें खुशियाँ दे दी तुझको अपने इश्क़ के नज़राने में। बेरुख़ी तो देखो तुम्हारी तुमनें नज़र भी ना उठाई सुकरानें में -- Bahut khoob Taj saahab umda prastuti lazwaab

कमलकांत घिरी said

राज छिपे हैं नीचे उस बंद पड़े तहखाने में... बहुत सुंदर ताज सर, आफरीन, माशाअल्लाह, बेहतरीन सर जी,👏👏👏👏🙏 ।।प्रणाम।।🙏

रमेश चंद्र said

Bahut khoob... aap to hmesa hi laajabab likhte hain.

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