आज वो और हम किसी मोड़ पर टकरा गये
आज वो और हम किसी मोड़ पर टकरा गये....
उन्होंने नज़रें उठाई और फिर नज़रें झुकाई
देखकर हमे अनदेखा किया,
फिर गुज़रे कुछ इस तरह से वो हमारे सामने से
मानो पहचानते ही नहीं ।
बैठे थे वो महफ़िल में ठहाके लगा रहे थे
बैठे थे वो महफ़िल में ठहाके लगा रहे थे....
उस महफ़िल में शामिल हम भी थे ,
देख हमे गुज़रे कुछ इस तरह से वो हमारे सामने से मानो रिश्ते निभाना जानते ही नहीं।
आज वो और हम रूबरू थे
आज वो और हम रूबरू थे.....
जानते हुए भी उनके लिए अजनबी हम थे
लगता है नफ़रत है उन्हें हमसे,
पर महफ़िल में बरताव कुछ अलग भी रहा उनका
हमारे साथ।
गुज़रे कुछ इस तरह से वो हमारे सामने से
मानो नफ़रत करना जानते ही नहीं।
"रीना कुमारी प्रजापत"
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




