खैरियत पूछने वालो से कभी होती मोहब्बत गहरी।
अनुभव आप का क्या कहता गाँव के हो या शहरी।।
आइना भोर दोपहर शाम देखकर कुछ कहना चाहे।
देखने वालो को आसान लग सकती मोहब्बत यारी।।
हुस्न और इश्क साथ-साथ नजर आने लगे 'उपदेश'।
मोहब्बत बदलेगी तो बेपनाह तन्हाई से छूटेगी यारी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद