होश जब से सम्हाला मददगार पाया तुम्हे।
परेशानी आई गई जब से गुरू बनाया तुम्हे।।
जिन्दगी के सफर को मुकम्मल कर दिया।
मक़ाम आये गये जब से गुरू बनाया तुम्हे।।
शिक्षाप्रद 'उपदेश' का नतीज़ा दिखने लगा।
कुछ जुडे कुछ छूटे जब से गुरू बनाया तुम्हे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद