उजाले में तो हमारी परछाई हमारे साथ आएगी
वरना गम है तन्हाई से लबालब रात आएगी
उड़े जो नींद आँखो की ख़्वाबों का ठिकाना क्या
गुज़िस्ता उसकी रुसवाई हमेशा याद आएगी
तेरे कूचे में बैठे हैं बिछाये पलकें हम तो राहों में
खुदा कब तक हमारे यार की बारात आएगी
मौहब्बत में भला अच्छा है क्या और बुरा क्या है
ये दिल जिसपे आजाये उसी की बात आएगी
हवा खामोश अब क्यूँ हैं हुआ क्यूँ चाँद है मद्धम
सितारों की जमीं पर अब नई सौगात आएगी
घनी गुरबत हमारे दरमियाँ गर नुक्ता ए मरकज़
हमें मालूम है बस हरदम हमारी मात आएगी
तुम्हीं ने है सिखाया दास यूँ अश्कों को पी जाना
जिगर पे तीर खाके भी ना लब पे आह आएगी
भला ये कौन है जो दिन रात पीछा करता है मेरा
मेरी परछाई है शायद कहाँ तक साथ आएगी