जो गड्ढ़ा तूने खोदा तू उसी में गिरता जाएगा,
जंगलों को खत्म करके अगर तू अपना घर बनाऐगा,
कहां मिलेगी ताजी हवा गर कुदरत से टकराएगा,
एक दिन तू उसी, घर को गिराकर फिर से पेड लगाएगा,
जो गड्ढ़ा तूने खोदा तू उसी में गिरता जाएगा,
तू रक्षक है काहे को भक्षक कहलाएगा,
तू समझ अब प्रण ले ....... निश्चय कर तू अब तू पेड लगाएगा,
अब तू पेड लगाएगा,
सर्वाधिकार अधीन है