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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ग़म-ए-दिल की दास्ताँ - अमित श्रीवास्तव

दिल को टूटने की सदा रह गई,
तेरी बेवफ़ाई की दवा रह गई।

हर कदम पर तेरा ज़िक्र करते रहे,
अब तो ख़ामोशी ही वफ़ा रह गई।

चाँदनी रात में जो तेरे साथ थी,
वो भी अब बस इक दुवा रह गई।

हमने तो चाहा तुझे उम्र भर,
तेरे लिए ये बस ख़ता रह गई।

तेरे बिना जो जी रहे हैं हम,
ज़िंदगी अब इक सज़ा रह गई।

आँखें नम हैं तेरे नाम से ही,
तेरी याद भी अब खता रह गई।

लोग कहते हैं "भूल जा उसे",
क्या करें, वो तो खुदा रह गई।

— अमित श्रीवास्तव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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रीना कुमारी प्रजापत said

Aaha kya baat hai 👌👌🙏

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

Supriya sahu said

वाह...बहुत खूबसूरत रचना सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

Shiv Charan Dass said

बहुत खूब वाकई अमिट है

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

Pallavi Srivastava said

सब कुछ नहीं मिलता जीवन में ग़ालिब,.. कुछ अधूरी ख्वाहिशें ही जीवन जीने का आनंद दिलाती है...।

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत खूबसूरत रचना

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

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