दिल को टूटने की सदा रह गई,
तेरी बेवफ़ाई की दवा रह गई।
हर कदम पर तेरा ज़िक्र करते रहे,
अब तो ख़ामोशी ही वफ़ा रह गई।
चाँदनी रात में जो तेरे साथ थी,
वो भी अब बस इक दुवा रह गई।
हमने तो चाहा तुझे उम्र भर,
तेरे लिए ये बस ख़ता रह गई।
तेरे बिना जो जी रहे हैं हम,
ज़िंदगी अब इक सज़ा रह गई।
आँखें नम हैं तेरे नाम से ही,
तेरी याद भी अब खता रह गई।
लोग कहते हैं "भूल जा उसे",
क्या करें, वो तो खुदा रह गई।
— अमित श्रीवास्तव