जलेबी की तरह घुमा घुमा कर की गई बातें
रिश्तों को सुलझाया नहीं करती बल्कि और उलझा देती हैं।
नियत अगर साफ है तो
सच और स्पष्ट कहना ही उचित है।
माना कि सच कड़वा होता है
परन्तु सहजता,सरलता और विनम्रतापूर्वक भी कहा जा सकता है …
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है