बोली से मैं महकी हूँ
वाणी से मैं चहकी हूँ
गर्व से सर उठाती हूँ
हाँ मैं हिंदीभाषा की सरिता हूँ
गर सपना देखु तो अम्बर हूँ
रग-रगमें खून के क़तरेमे हूँ
हाँ मैं भाषा की महारथी हूँ
हाँ मैं हिंदी भारत की शान हूँ
युगो से सफ़र करू हूँ
हर जन-जन को भाति हूँ
भावोमें मधुरता रसमलाई हूँ
हाँ आदतों की आदत मैं राजदुलारी हूँ
साहित्यमें लफ्ज़ो का स्वाद हूँ
कोमल पुष्प-सा उपहार हूँ
मुबारक बादमें मिश्री-सा प्रसाद हूँ
शुभेच्छा की हक्कदार महारानी हूँ
थोड़ा-सा अफ़सोस करती हूँ
क्योकि जिह्वा होते हुए भी ख़ामोश हूँ
अपनोंमें एक सपना-सी हूँ
पर हाँ प्यार सभी को समान करती हूँ
हाँ मैं हिंदी भारत की 'शान' हूँ