सब के अपने अपने गम है
क्यों कोई परवाह करेगा।
कुछ वायदे कच्चे निकले
उनकी क्यों कोई राह तकेगा।
एक हवा का झोंका आया
एहसास हुआ कुछ कह ना पाया।
आँखे खोले सोच रही थी
झोंके कब अपने होते कह ना पाया।
कितना कोलाहल था मन में
लेकिन अब सब मौन रहेगा।
मेरी पीड़ा समझेगा 'उपदेश'
वक्त आने पर साथ चलेगा।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद