ज़ख़्म जब लगा तो दर्द गहरा हुआ,
इन निगाहों पे भी सख्त पहरा हुआ।
वो छोड़ गयी मुझे मेरे गर्दिश में,
देख तेरे बिना भी जीवन लहरा हुआ।
सजाई थी जो बगिया मैंने तेरी यादों में,
तेरे बिना वो आज सहरा हुआ।
गम के साये में भी मुस्कुराया तेरी खातिर,
रूठ कर खुशी देख देहरी पर ठहरा हुआ।
जिसके खातिर तूने मुझसे नाता तोड़ा,
यकीनन वो आदमी मुझसे महरा हुआ।
सुर्ख होंठों में ही होती है तलब प्यास की,
देख तेरी चाहत में दिल अहरा हुआ।
सरेआम किया जब हर किस्सा चाहत का,
एक तू ही था जो सुनकर भी बहरा हुआ।
और जब कहा तुझे बेवफ़ा मैंने,
देख मेरे लफ़्ज़ों का रंग भी सुनहरा हुआ।
🖋️ सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




