पंखों को बाँधना नहीं
खुले आसमाँ सी है ये ज़िन्दगी,
बादलों की तरह रंग बदलती हर घड़ी।
कभी सुनहरे बन मन को लुभाएँगे,
कभी नीले हो शान्ति फैलाएँगे।
कभी काले घने हो हमें डराएँगे,
कभी बेहिसाब बरस हमारे जीवन को चुनौती दे जाएँगे।
पर तुम डरना नहीं,हार मानना नहीं,
खुला छोड़ देना,अपने पंखों को बाँधना नहीं।
ज़िन्दगी की हवाओं से जूझते रहना,
कभी सह जाना ,कभी लड़ जाना।
याद रखना-बादलों का स्वरूप ही है बदलते रहना,
पंख मिले हैं तो अपनी उड़ान तुम भी भरते रहना ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







