शाम से पहले पहले जाम मिल जाता तो बेहतर था
तेरे दीवानों में नया ये नाम जुड़ जाता तो बेहतर था I
तिश्नगी लिए दर दर भटक रहे हैं मुद्द्त से ए साकी
महफ़िल का दावते पैगाम मिल जाता तो बेहतर था I
हम अभी तक पीने पिलाने के कायदे से अनजान हैं
सलीका ए जाम कोई जरा समझाता तो बेहतर था I
क्यूँ नक़ब में कैद हैं वो चाँद जो कभी छिपता नहीं
हुश्न का जलवा नया जाम बन जाता तो बेहतर था I
दास मय पीकर नशे में लड़खड़ाते हैं बहुत ज्यादा
साकी का शाना हमें भी मिल जाता तो बेहतर था II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




