कापी राइट रचना
गर रूलाना है मुझे तो दिल खोल कर रूला
जश्न खुशियों का तू दिल खोल कर मना
हम रह जाएंगे तन्हा तो कोई बात नहीं
तू अरमां सभी दिल के खुशियों से सजा
गर अश्कों की बारिश होती है तो होने दे
इस बारिश में मगर तू दिल खोल कर नहा
अगर हो जाए हरा कोई ये जख्म मेरा
ये भर जाएगा यूंही तू ख्वाब दिल में सजा
मैं तो जी लूंगा यूं ही अकेला रह कर
तू याद रखना न कुछ खुशियों के सिवा
ये यादें जो मेरी कहीं तुझे सताने लगे
न याद करना मुझको दीप खुशियों के जला
नहीं तेरी जिन्दगी से अब सरोकार कोई
तू भूल कर यादव जश्न जिन्दगी का मना
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है