आपने बगैर फ़ायदे के, हमें तवज़ह दी शुक्रिया..
दुनिया से कोई तो उम्मीद की, वज़ह दी शुक्रिया..।
हमने तो बहुत ज़ब्त किया, दिल के ज़ज़्बातों को..
निगाहों ने निगाहों से, जो थी बात कह दी शुक्रिया..।
हमारा तो इस शहर में, कोई ठौर–ठिकाना न था..
उनकी कुछ इनायत थी, दिल में जगह दी शुक्रिया..।
रात के अंधियारे थे, और ख़्वाब भी थे कुछ अज़ीब..
दिल की धड़कने रुकने से पहले सुबह दी शुक्रिया..।
मुझमें तो नहीं था हौसला, कि दिल की बात कहता..
बात तो तभी बनी, जब आपने कुछ शह दी, शुक्रिया..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




