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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

नारी की पहचान

धरती पर जन्म लिया है मैंने।
पहचान मेरी कुछ भी तो नहीं।
कभी बेटी नाम है मुझको,
कहीं बहन बुलायी जाती हूँ।
कभी माँ रूप दिया है मुझको।
कहीं पत्नि मैं कहलाती हूँ।

सृष्टि का विस्तार हुआ है मुझसे,
मैं प्रसव की पीड़ा सहती हूँ।
शिशुओं को जन्म दिया है मैंने,
हर रूप में ममता देती हूँ।

फिर भी समाज की नफ़रत पाती हूँ।
हर रोज़ बलि चढ़ जाती हूँ,
कहीं जलायी जाती हूँ,
कहीं स्वयं जल जाती हूँ।

सहना मेरी किस्मत था,
चुप रहना मेरा अधिकार।
बदले में चाहा बस मैंने स्वजनों का लाड़–दुलार।

अब वक़्त बदला, युग बदला, बदल गया परिवेश,
सोच बदल गयी नारी की, बदल गया है भेष।
नारी रही नहीं अब अबला, वो बन गयी अब सबला।

नारी को अब स्वयं के लिये आवाज़ उठानी होगी,
हौसले बुलंद कर अपने, स्वयं ही अपनी पहचान बनानी होगी।
नारी रही नहीं अब अबला।

वर्ल्ड कप विजयी है नारी, वो अंतरिक्ष में भरती है उड़ान,
देश के कोने–कोने में मिलता है उसको भी सम्मान।

— सरिता पाठक




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

प्रो. स्मिता शंकर said

बहुत सुंदर रचना सरिता जी ❤️

प्रो. स्मिता शंकर said

❤️❤️❤️👍

सरिता पाठक replied

आदरणीय स्मिता बहन को प्यार भरा धन्यवाद और नमस्ते 🙏

वन्दना सूद said

अति सुन्दर रचना

सरिता पाठक replied

धन्यवाद वंदना जी 🙏🙏

शिवचरण दास said

वाह वाह सरिता जी

सरिता पाठक replied

Dhn

सरिता पाठक replied

धन्यवाद दास भईया जी आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! सरिता बहन 🙏🙏 नारी हर पीड़ा को सहकर भी कभी टूटती नहीं,अब समय बदल गया है नारी शक्ति धरती के कोने कोने में जगने लगी है। सादर प्रणाम 🙏🌹🙏

सरिता पाठक replied

आदरणीय मनोज भईया जी को बहुत बहुत धन्यवाद और सादर प्रणाम 🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! बहुत ख़ूब! लाजवाब लिखा है आपने, सरिता जी! बे-मिसाल रचना! आदाब! 👌👌👏👏

सरिता पाठक replied

परवेज़ भईया जी आपको बहुत बहुत शुक्रिया और आदाब 🙏🙏

सुप्रिया साहू said

सत्य रचना, अब पुराने जमाने की तरह नहीं रहा कुछ भी, अब लड़कियां भी उड़ान भर रही है और सम्मान पा रही है, बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सरिता पाठक replied

धन्यवाद सुप्रिया जी 🌹🌹🙏🙏

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