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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

बेटी का खत - माँ के नाम

एक बेटी ने अपनी माँ को,
खत लिखकर ये पूछा —

बचपन में माँ तुम मुझसे यही कहा करती थीं,
“मेरे आँचल की बिटिया तू नन्ही सी कली है,
मेरे आँगन में ही खेली और यहीं पली है।”

मुझको भी याद आती हैं अपने बचपन की कुछ हल्की सी परछाई,
चिड़िया सी चहका करती थी, हिरणी सी दौड़ा करती थी।
बात नहीं में किसी की सुनती, मनमानी किया करती थी।

पुष्प बनी मैं हुई यौवना,
मेरी डोली में हुई विदाई।
पलकों पे अरमान सजाए, साजन के घर आई।

माँ... बिखर गई पंखुड़ी पुष्प की, तेरी कली मुरझाई।
सास कहे मुझे साँझ सबेरे — “बहू, दहेज में कार क्यों नहीं लाई?”
मुझको बता माँ, तेरे संग भी ऐसा ही हुआ था,
जब तू ब्याह कर आई?

बेटी का खत पढ़, माँ ने लिख भेजा संदेशा —
“सहनशीलता ही नारी का सबसे सुंदर गहना,
सदियों से नारी को, बिटिया, चुपचाप पड़ा है सहना।”

माँ का पढ़ संदेशा, बेटी के मुख पर दृढ़ता आई —
सहन शक्ति का बांध हैं टूटा
अब विद्रोह करेगी नारी।
नारी, दुर्गा, काली बन जाती,
तब पड़ती सब पर भारी।

-सरिता पाठक




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

हर दाग दोनों ओर की धोती हैं बेटियां, इसलिए गंगलहर सी होतीं हैं बेटियां। सरिता बहन इतनी सुन्दर खत कि पढ़कर हर कोई भावुक हो जाए। अतिसुंदर मर्मस्पर्शी रचना 👌🌹🙏

सरिता पाठक replied

बड़े भाई जी को बहुत बहुत धन्यवाद, सादर नमस्कार एवं सुप्रभात 🙏🙏

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद रचना आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार सरिता जी।

सरिता पाठक replied

धन्यवाद भईया जी एवं सादर नमस्कार 🙏शुभ सुप्रभात, क्या अब मेरे उत्तर आप सभी तक पहुंच रहे हैं, कृपया बताइये

Kantilal Babulal Sopariwala said

वाह बहोत सुंदर बेटी पर रचना धन्यवाद

सरिता पाठक replied

बहुत बहुत धन्यवाद सर जी, सादर नमस्कार 🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! कितना शानदार और लाजवाब लिखती हैं आप! आपकी हर रचना सीधे दिल में उतर जाती है! बे-मिसाल कलाम! बहुत ख़ूब! जितनी तारीफ़ करें उतना कम है! आदाब, सरिता जी! 👌👌👏👏❤️🙏

सरिता पाठक replied

बहुत बहुत शुक्रिया सर जी हौसला हौसलअफजाई के लिये बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी आदाब 🙏🙏👏👏

इक़बाल सिंह “राशा“ said

सरिता जी
बहुत ही भावपूर्ण और सशक्त रचना एक बेटी के दर्द, माँ की सहनशीलता और नारी के उदय की गूंज को एक साथ समेटे हुए।
हर पंक्ति आत्मा को छू जाती है

सरिता पाठक replied

राशा सर जी सर्वप्रथम आपको नमस्कार, 🙏बहुत बहुत धन्यवाद रचना को ह्रदय से महसूस करने के लिए

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह… क्या गहरी और प्रभावशाली रचना है! 🌺🔥
बेटी और माँ के संवाद में पीढ़ियों का संघर्ष, नारी की सहनशीलता और अंततः उसका विद्रोह इतनी सहजता से उभरकर सामने आता है।
“सहनशीलता ही नारी का सबसे सुंदर गहना” — यह पंक्ति तो सोचने पर मजबूर कर देती है, और अंत में बेटी का जागरण पूरे संदेश को शक्ति बनाता है।
सच में, कविता सिर्फ़ पढ़ने को नहीं, महसूस करने और सोचने को भी प्रेरित करती है
आदरणीय मैम को सादर प्रणाम

सरिता पाठक replied

बहुत बहुत धन्यवादयही चाहती हूँ 🙏🙏री भईया जी आदरणीय भईया जी को सादर नमस्कार, आपका स्नेह और आशीर्वाद इसी तरह मिलता रहे b

वन्दना सूद said

हृदय स्पर्श करती रचना

सरिता पाठक replied

धन्यवाद वंदना जी सादर नमस्कार 🙏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर और मार्मिक रचना।👌👌🙏🙏

सरिता पाठक replied

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय यादव भैया जी को सादर नमस्कार 🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Heart touching poem

सरिता पाठक replied

बहुत प्यारा सा आशीर्वाद क्योंकि बहनों मे धन्यवाद, सॉरी जैसी चीजों की कोई जगह नहीं होती

रीना कुमारी प्रजापत said

Didi mujhe aapki gmail mil skti hai kya

सरिता पाठक replied

saritapathak362@gmail.com

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