ये वक़्त क्या बदला कि जमाने बदल गए
ख़िज़ाँ आयी तो भंवरों के तराने बदल गए
कभी इधर भी गुलज़ार थे ठहाके अपनों के
वो दिन कुछ और थे अब फ़साने बदल गए
कभी हम ही हम थे जिनकी नज़रों में यारो
अब तो उनके भी अनेकों ठिकाने बदल गए
कभी इधर भी धूम थी शानो शौक़त की यारों
हैसियत क्या बदली कि आवदाने बदल गए
बड़ा ही मुश्किल है ये ज़िन्दगी गुज़रना यारों
क्योंकि जीने के तरीक़े अब पुराने बदल गए
अब जीता है हर आदमी अपने लिए ही 'मिश्र'
अब तो इमदाद के दुनिया में माने बदल गए
----शांती स्वरूप मिश्र