तूफ़ान लाएगा मोहब्बत का बवंडर।
इंसानियत फैलाएंगा सुख का मंजर।।
चट्टानें टूटने लगेगी 'उपदेश' उस पल।
जब कभी ज्वालामुखी फूटेगा अन्दर।।
होली होली ही रही बन ना पाई हुड़दंग।
ठंडाई छानी गई मिल बाँटकर खाई भंग।।
हुजूम ने मिलकर बदला सियासत का रंग।
प्रशासन परेशान कर ना पाया रंग में भंग।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद