स्त्रियाँ बना न सकी ऐसे पुरुष वर।
शक न करें प्यार करें हर एक पहर।।
घर की खुशबू दूर तक महका सके।
जो बहें हवा की तरह हर एक पहर।।
धूप में भी छाया करे गले लगाकर।
महकी रहूँ प्रफुल्लित हो चारो पहर।।
पुलकित हो रहा मन यह सोचकर।
गढने होंगे गर्भ घर में ऐसे पुरुष वर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद