काली गहरी रात के गर्भ में
छिपी रहती है उज्यारी सुबह,
काली अँधेरी रात के गर्भ में
खो जाती है,उज्यारी सुबह,
सूरज की प्रचंड गर्मी में
ही समाई है शीतल चांदनी
दुःख के कटुतम अनुभव में
ही घुला है सुख का एहसास
तुम्हारे अंतस की गहराइयों में
छिपा है तुम्हारे होने राज़
तुम जो बंधे हो बन्धनों में
तोड़ कर कभी देखो बन्धनों
के पाश तुम हो उसी में
खोल कर देखो भीतर में
सब एक है