रोतें हैं सभी अपनों को खोकर
कभी दूसरों के लिए भी कुछ खोया है।
पकड़ कर हाथ लोग आगे बढ़ जातें हैं
खुशियों से दामन भर लेटें हैं पर
दिया साथ वो रोया है।
जब कमी थी तो सब साथ थे
पर जब कुछ कमी नहीं तो
आंख दिखातें हैं।
इतिहास गवाह है कि
जब जब भी कोई लूटा टूटा
तो उसे अपनों ने हीं लूटा था।
ताक़त मुगलों अंग्रेजों बाहरी
आक्रांताओं में नहीं थी
देश को तो अपनों ने हीं तोड़ा था।
शिवा जी महाराणा प्रताप चौहान को
जयचंदों ने हीं हरवाया था।
पकड़ कर हाथ लोग
गला भी दबा देतें हैं
जो लगतें हैं बहुत ज्यादा करीब
अक्सर वही धोखा दे जातें हैं
अक्सर ऐसे हीं लोग रोता बिलखता
छोड़ जातें हैं
मिलावटों से बनी यह दुनियां
बारम्बार याद दिलातें हैं
भरोसे विश्वाश प्रेम को अक्सर
ठेंगा दिखाते हैं
अक्सर ठेंगा दिखाते हैं...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




