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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

गहरी लकीर है

हमारे हाथ में बेहद गहरी लकीर हैं
किस्मत से मगर फक्कड़ फकीर हैं

कल भी गुलाम थे और हैं आज भी
प्यादे सारे यहाँ केअब हुए वजीर हैं

ले कटोरा भीख का निकले हैं देखो
गेरुए कपड़े पहन कितने अमीर हैं

मुजरिमों को मिल रहा ईनाम भारी
बन रही इंसाफ की ऊँची नजीर हैं

काटने गर्दन हैं मेरीआतुर यहाँ दास
हर किसी के दफन अब तो जमीर हैंl




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

सुप्रिया साहू said

बहुत खूबसूरत रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass replied

बहुत शुक्रिया

रीना कुमारी प्रजापत said

हमारे हाथ में बेहद गहरी लकीर हैं,किस्मत से मगर फक्कड़ फकीर हैं.. बहुत खूबसूरत, शानदार,लाजवाब

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत आभार आपका

शिवचरण दास said

शुक्रिया रीना जी

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। हमारे हाथ में बेहद गहरी लकीर हैं किस्मत से मगर फक्कड़ फकीर हैं.... फक्कड़ फकीर होना, साधना की चरम अवस्था है। 👌👌🙏

शिवचरण दास said

बहुत बहुत आभार अभिवादन सुभाष जी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! कितनी दमदार और सचाई से भरी कविता है ये—आपकी बातों में दर्द भी है और हिम्मत भी। उस बेबसी और फिर भी फक्कड़पन का जो संगम है, वह बहुत असर करता है। सच कहते हैं, जो जमीं पर खड़े हैं, उनकी आवाज़ ही असली होती है। आपका सलीका बहुत ही बेहतरीन है, ऐसे शब्द दिल को छू जाते हैं! - सादर प्रणाम आदरणीय

Shiv Charan Dass replied

हौसला अफजाई के लिए आपका बहुत बहुत आभार ......नमस्कारअशोक जी

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