कविता : सैंडल और चप्पल....( ( a.p.)
बच्चे थे फिर
बड़े हो गए
बाद में जा कर
बूढ़े हो गए
मगर जिंदगी
ढंग से कटी नहीं
अपने से कोई भी
लड़की पटी नहीं
फिर भी जवानी में तो कई
लड़कियों से आंख लड़ाई है
बेशक हम ने कभी चप्पल तो
कभी सैंडल खाई है
बेशक हम ने कभी चप्पल तो
कभी सैंडल खाई है.......