कविता - अमानत....
तुम्हारी सांस मेरे
दिल में अटकती थी
मेरी सांस तुम्हारे
दिल में अटकती थी
तुम्हारा दिल मेरे
लिए तड़पता था
मेरा भी दिल तुम्हारे
लिए तड़पता था
हर पल हर घड़ी
तुम और मैं एक थे
तुम्हारे और मेरे
विचार भी नेक थे
मगर तुम तो दूसरे की
जमानत हो गई
क्यों मुझे छोड़ कर किसी की
अमानत हो गई ?
क्यों मुझे छोड़ कर किसी की
अमानत हो गई.......?