जानवर भी अपनी फितरत नही है बदलते
करो जो उन्हे मोहब्बत, मोहब्बत को भी है समझते।
इंसान तो कपडे की तरह फितरत है बदलते
चेहरे पर लगे नकाब रोज रोज है बदलते।
-राशिका
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-राशिका