प्रथम पथ यह मेरा भारत,
....द्वितीय पथ स्वाभिमान भारत का,
फिर से बने विश्व गुरु अब,
....वापस आये विश्वास भारत का,
....वापस आये विश्वास भारत का,
हर तरफ जहाँ संस्कार हो,
....मित्र विभीषण और भाई राम हो,
कण-कण में जहा गीता का सार हो,
कण-कण में जहा गीता का सार हो
....जहां न भूखा कोई लौटे दर से,
फिर से लौटे स्वाभिमान भारत का,
फिर से लौटे स्वाभिमान भारत का,
नालन्दा सी जहाँ विश्व धरोहर,
....और चाणक्य जैसा हो गुरु भारत का,
माता-पिता जहां पूजे जाते हैं,
....पुत्र जहा श्रवण कुमार भारत का,
....पुत्र जहा श्रवण कुमार भारत का,
जहां नारी में मर्यादा सती सी,
....और प्रेम त्याग मीरा सा हो,(2)
नदियों को जहां माता कहते,
....फिर से लौटे स्वाभिमान भारत का,
....फिर से लौटे स्वाभिमान भारत का,
प्रथम पथ यह मेरा भारत,
....द्वितीय पथ स्वाभिमान भारत का,
....द्वितीय पथ स्वाभिमान भारत का,
राजू वर्मा द्वारा लिखित
सर्वाधिकार अधीन है