चोरी से आकर कोई गीत वफ़ा के गाता है
वो प्यारा परदेशी इन होंठों पे मुस्काता है
आँखों में जिसकी मस्ती है बातों में है जादू
प्रेम गली का रहबर वो मुरली मधुर सुनाता है
दिल मेरा होता बेकाबू मैं मोहित हो जाती
रंग बिरंगे मेरी ख़ातिर सपने लेकर आता है
वो अपना सा लगता जब से देखा है उसको
मेरा साथी है वो ही मुझ पर प्यार लुटाता है
दिल मेरा गुलज़ार हुआ अब महका मन मेरा
उसका रंग चढ़ा मुझ पर साया बन इतराता है
जन्मों से गहरा नाता मुझे उससे पहचान मिली
हाथ पकड़ इस दुनिया के सारे वचन निभाता है
चुपके से आकर मेरे कानों में कुछ कह जाता
नित्य सबेरे आकर मुझको बाँहो में भर जाता है
सीने में है नाम उसी का गीत ग़ज़ल मैं लिखती
लवी का वो ही हमराही हरदम प्यार सिखाता है
---- डाॅ पल्लवी "गुंजन "

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




