फसाने गा रहे हैं
हम तुम्हारी याद में सौ-सौ फसाने गा रहे हैं
क्या तुम्हें तन्हाईयों में याद हम भी आ रहे हैं
दिल यहां लगता नहीं कह रही है हर धङकन
याद आती है तुम्हारी मिलने को करता है मन
याद हमको आज फिर किस्से पुराने आ रहे हैं
क्या तुम्हें तन्हाईयों में याद हम भी आ रहे हैं
है आज कितनी बेकरारी याद आई है तुम्हारी
नींद आती ही नहीं आंखों में छाई खुमारी
आज अपनी यादों को दुल्हन बनाने जा रहे हैं
क्या तुम्हें तन्हाईयों में याद कर हम भी आ रहें हैं
जो पराए थे कभी वो हो चुके हैं अब हमारे
प्यार के सपने सजीले हो चुके हैं
अब हमारे
ख्वाब में करके बहाना पास तेरे आ रहे हैं
क्या तुम्हें तन्हाइयों में याद हम भी आ रहे हैं
करके हम से दिल्लगी आह भी भरते नहीं
चूम लूं जुल्फें तुम्हारी पास तुम मेरे
नहीं हो
आज खत जितने लिखे डाक में वो जा रहे हैं
क्या तुम्हें तन्हाइयों में याद हम भी आ रहे हैं
लेखराम यादव
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