New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

निराले सपन

मन से मन मिलते देखे, देखे जो सपन निराले थे l
बुनने वाले वो ख्वाब मेरे ,कितने मन के वो काले थे l
झूठा -झूठा अहसास लगा ,समझा जो नसीबो वाले थे l
मंजिल जिस टेक खड़ी की थी ,सब अपने मतलब वाले थे l
मन से मन ........

भीतर से कितने खुश थे वो ,मरहम जो लगाने वाले थे l
जख्म भरे न नाशूर बने ,ये ख्वाब जो दिल में पाले थे l
मैं भूल गया जिन बातो को ,फिर याद दिलाने वाले थे l
तड़पन मुझको दे खुश होते ,कितने मन के वो काले थे l
मन से मन ......

अपना- अपना कहकर मुझको ,जो दिल से लगाने वाले थे l
ठोकर में हाथ बढाये थे ,खुद पत्थर जिसने डाले थे l
अंतरमन को छलनी करके ,जो आँसू पोछा करते थे l
दुख में सहलाते पीठ मेरी ,वो जाल भी जिनके डाले थे l
मन से मन .....

विश्वाश बढाने आते मेरा , विश्वाश घात वो करके जब l
खुशियों में साथ खड़े होकर ,दुख बाट निहारा करते थे l
चिंता फ़िकर जता करके ,वो हमको नापा कर्ते थे l
हम अपना उनको कहते थे ,हम कितने भोले भाले थे l
मन से मन ......

रिश्ते बनते दिल से दिल तक , ना थोपे जाते जन्मो से l
कुछ गैर भी कितने अपने थे , कुछ अपने मतलब वाले थे l
गुस्सा हो या दिल की चुभन ,बस दिल में रखने वाले थे l
कुछ घाव बढ़ाने वाले थे ,कुछ दर्द मिटाने वाले थे l
मन से मन मिलते देखे ,देखे जो सपन निराले थे l
तेजप्रकाश पाण्डेय लिखित ✍️गोलू




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

कमलकांत घिरी said

बहुत बेहतरीन सर जी कमाल का लिखा है आपने, एक एक शब्द में जान भर दी! बहुत ख़ूब 👌🙌👏👏🙏

तेज प्रकाश पांडे said

Dhanyawad kamalkant ji

रीना कुमारी प्रजापत said

👌👌

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन