बाल कविता)
दीपावली
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दीपावली
लगती भली
अंदर जले
बाहर जले
जगमग दिया
हर ले हिया
रोशन हुई
चमचम गली ।
दीपावली ।।
बोले बहुत
बोले बहुत
गूंजे यहां
सारा जहां
लो फुलझड़ी
की भी कली ।
दीपावली ।।
मुहूर्त लिए
पूजा किए
मांगी हंसी
मांगी खुशी
थोड़ी बुरी
थोड़ी भली।
दीपावली ।।
बिल्कुल सही
आती रही
हर साल ही
हर बार ही
दिन एक रहकर
फिर चली।
दीपावली।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'