ऐसी किसकी याद है,
जो आपको सताए जा रही थी।
नींद थी ही नहीं आँखों में,
बस आप करवट लिए जा रही थी।
ऐसी कौनसी बात है,
जो आपको परेशान किए जा रही थी।
चैन मिल नहीं रहा था इस बेचैन दिल को,
बस आप आहें पर आहें भरे जा रही थी।
ऐसा क्या राज़ है,
जो आप हमसे छुपाए जा रही थी।
कहना चाह रही थी पर संकोच था मन में,
बस आप अकेले ही अपने ग़मों को पिए
जा रही थी।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️