साफ झलकता आँखों से है इश्क़, इज़हार नहीं करती,
दोस्तों से कहती है, उससे दोस्ती है प्यार नहीं करती।
मैंने एक रोज पूछ लिया, क्या कोई रिश्ता है हमारा?
बोली तुमने पूछा कब,पूछते तो मैं इनकार नहीं करती।
अब तो खुल कर बतला दो, दिल के छुपे जज्बातों को,
तुम्हारा-मेरा है कोई रिश्ता, ऐसे तो इंतज़ार नहीं करती।
कहने वालों ने बहुत कुछ कहा, उनका काम है कहना,
ऐसे किसी तीसरे की बातों पे, कभी एतबार नहीं करती।
तुम्हारे साथ ही होती है महसूस, एक अजीब सी सुकूँ,
तुम हो तो कर रही, वरना किसी से इकरार नहीं करती।
🖊️सुभाष कुमार यादव