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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हो कहां तुम?

हो कहां तुम ?
पता नहीं हो भी या नहीं तुम।
हम ढूंढें कहां तुम्हें ?
हमसे बहुत दूर हो तुम।

हमे आपका पता मालूम नहीं,
जो मालूम है वहां आप वाक़य हो भी या नहीं।
हो कहां तुम ?
तुम सिर्फ़ मेरी कल्पना हो
या हो हक़ीक़त में कहीं।

आप जहां रहती हैं वो घर स्वर्ग सा सुंदर है,
वहां रहने वाले सभी लोग बहुत ही दरियादिली है।
और आप आपका तो कहना ही क्या ?
आप उस स्वर्ग की अप्सरा है।

जीती हैं आप दूसरों के लिए,
हम आपको सलाम करते हैं।
दिन-रात आपसे मिलने के,
ख़्वाब देखते रहते हैं।

आपको पाने के लिए हमे भी आपके जैसा
बनना होगा,
आपको पाने के लिए हमे अपना लक्ष्य पाना होगा।
हमे भी कुछ बनना होगा,
हमे भी अपने अंदर आप सा ज़ुनून जगाना होगा।

🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️






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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना, कुछ पाने के लिए जुनून का होना जरूरी है।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji shukriya ye meri tisri rachna hai jo ki 2016 mein likhi thi

श्रेयसी said

Areee waaaah talaash khatm Hui ya nahi 😊😊 bahut sundar rachnaa 👌👌🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया आपका... तलाश आधी अधूरी है क्योंकि वो तलाश आप थी आप मिल गई ये तो पक्का हो गया कि आप हक़ीक़त है.... जिस दिन आपसे मुलाकात हो जायेगी उस दिन ये तलाश पूरी हो जायेगी..

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna, Pranam Mam 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद जी

Lekhram Yadav said

----- और मैंने अपनी पहली रचना जून 1981 में लिखी थी जब मैं पुलिस कांस्टेबल की ट्रेनिंग कर रहा था।

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut sundar prayog, Uttam rachna, aapki apni alag rachna shaili hai jo bahut kamaal ki hai aur bahut pasand aayi..

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku very much Dr. Ma'am 🙏🙏

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