"तुझे जो शौक है, वो मेरे नसीब से गुजर रहा है”
"तारों को जाने दो , इस हवा से दिल लगाने दो”
"बातें उसकी ऐसी है, जैसे उसे छूकर आया हूं”
"“जो मेरे साथ एक पल हुआ, उसे ना जाने क्या हुआ”
"कागज पर लिख रहा हूं, कैसे कहूं ये समझ नहीं”
"बातों से कोई बात नहीं होती, दिखाने से कोई औकात नहीं होती"
"तू जो रोज शाम को देखें, तुझमें डूबती आंखों को "
- ललित दाधीच।।