अध्भुत अनंत अपार ख़ुशी
जीवन संजीवन बन जाता
तम अन्धकार में जुगनू सा
जगमग जगमग सा चमकाता
है वही ह्रदय सम्राट मनुष्य
औरों हित जीवन जी जाता
बन अविरल गंगा की धारा
सह धूप ताप कंकड़ पत्थर
कभी कोमल मधुर पुरवाई सा
कभी बन प्रचण्ड तूफान निकल
जल अग्नि और हिम सा बनकर
कभी जला के तन मन धन जीवन
हुंकार अटल भर सार्थक कर
तू और पिघल तू और निखर
अंतर्मन में लेकर ज्वाला
हाथों में हाला का प्याला
वो हाला जो तपकर है बनी
पी जा होजा तू मतवाला
नूतन जीवन संचारित कर
तू नए मंत्र अभिमन्त्रित कर
साध्वित कर चेतन मन को
तज दे इस काया जीवन को
उससे पहले ये निश्चित कर
तू और पिघल तू और निखर
संग्रामित जीवन को करदे
मानव अंदर मानव कर दे
-अशोक कुमार पचौरी
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




