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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्या - क्या याद रखें - सुप्रिया साहू

क्या क्या याद रखें

क्या-क्या याद रखें, किसको भूलें-भटके।
उन्हें भी क्या समझाए, जिसने दिए झटके।।

कितने ठोकर खाए, जिनके बिन हैं अटके।
जीए भी तो कैसे, उसके बिन दर-दर भटके ।।

पत्थर दिल हो गया, मन भी लज्जित होके।
पत्थर में भी दाग लगा, हर पल खाए फटके ।।

खोटा निकला दिल उसका, पता नहीं कैसे।
मारा तीर धोखे का, हम हर पल ग़म में डूबे।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत सुन्दर पंक्तियों के साथ सुप्रिया जी को सुप्रभात। जीवन उसी का है प्यार के परे.. .. तुम कहाँ हो गम में डूबी प्रिये।

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया आदरणीय सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सुभाष कुमार यादव said

सुंदर रचना।🙏

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया आदरणीय सुभाष सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

इक़बाल सिंह “राशा“ said

बहुत खूब सुप्रिया जी

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया आदरणीय सर जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Vadigi.aruna said

बहुत सुंदर👌👌

Supriya sahu replied

शुक्रिया मैम🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

सुंदर अति सुंदर 👏👏✍️✍️beautifully written

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया मैम 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत खूब बहुत खूब लिखा, भावपूर्ण रचना। वाह सुप्रिया जी वाह!

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया मनोज सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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