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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मां के बिना

मां के बिना अब हर दिन एक सा होता ,
मां के बिना अब कहां कोई त्यौहार होता।
मां थी तो त्यौहार पर बड़ा मज़ा आता था
नज़ारा ये बड़ा प्यारा होता था,
मां के बिना अब वो मज़ा, वो नज़ारा कहां।

मां के बिना है घर सुना - सुना,
मां के बिना है आंगन उखड़ा - उखड़ा।
मां थी तो घर सजा संवरा रहता था,
मां के बिना तो अब घर खंडहर सा लगता।

मां के बिना अब स्वादिष्ट भोजन कहां,
मां के बिना अब तरह - तरह के पकवान कहां।
मां थी तो अपने हाथों से बड़े प्यार से खाना
खिलाती थी,
मां के बिना अब वो लाड़ प्यार, उनके हाथों सा स्वाद,
वो खुशबू पकवानों में कहां।

मां के बिना अब चैन की नींद कहां,
मां के बिना अब वो सुकून कहां।
मां थी तो लोरी गाकर सुला देती थी,
मां के बिना अब नींद का आगमन कहां।

✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना। सचमुच मां के बिना ये संसार अधूरा और फीका होता है, बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

रीना कुमारी प्रजापत replied

मेरी friend की मम्मी की 2, 3 साल पहले डेथ हो गई थी, कल मेरी friend ने मुझे मैसेज किया कि मां के बिना कुछ अच्छा नहीं लगता है दिल में बहुत कुछ है कहने को पर शब्द नहीं है तू इस पर एक कविता लिख, तो मैंने ये कविता अपनी friend के लिए,उसकी मां के लिए लिखी है.... आभार प्रणाम सुप्रभात 🙏

श्रेयसी said

Bahut khush naseeb hain wo log jinki maa hoti hai 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji 🙏

Chitra Bisht said

Behad bhavpoorna rachna

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